त्वचा से संबंधित रोग दाद, खाज- खुजली और फोड़े- फुंसी किसी व्यक्ति को होना आम बात हो गया है। लेकिन टी ट्री आयल के उपयोग के प्रयास हुए दाद खाज खुजली से निजात पाया जा सकता है।

टी ट्री आयल होता क्या है?

टी ट्री आयल मेलेलुका अल्टीफोनिया नामक वृक्ष से प्राप्त किया जाता है। 

टी ट्री आयल में कौन -कौन सा पोषक तत्व पाया जाता है?

अल्फा पिनीन

बीटा पिनीन

सेबिनीन

मायसीन

अल्फा फेलाइन्ड्रीन

अल्फा टेरपीनिन

लिमोनेन

सिनेओल आदि

टी ट्री आयल के फायदे क्या है?

(1) टी ट्री आयल में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल के गुण पाए जाते हैं जो मुंहासे को ठीक करने में सहायक है।

(2) यदि टी ट्री आयल में जैतून का तेल या नारियल का तेल मिलाकर लगाया जाए इससे सिर में से डैंड्रफ की समस्या खत्म हो जाती है।

(3) यदि आपको मच्छर से परेशानी है। तब आप टी ट्री आयल के कुछ बूंदो को अपने हाथों में लेकर के अपने शरीर में लगा लीजिए। उससे आपको मच्छर नहीं काटेंगे। इसके अलावा यदि आपके शरीर को दुर्गंध आती है उसके लिए आप टी ट्री आयल के कुछ बूंदो को पानी में मिलाकर स्नान कर लीजिए। इससे शरीर से दुर्गंध नहीं आएगा।

टी ट्री ऑयल के दुष्प्रभाव क्या है ?

(1) मतिभ्रम

(2) कोमा

(3) कमजोरी

(4) उल्टी दस्त

(5) पेट खराब

निष्कर्ष

टी ट्री ऑयल के अनेक फायदे हैं। हमारे शरीर में होने वाली असाध्य बीमारियों के लिए किसी रामबाण से कम नहीं है। टी ट्री आयल में पाया जाने वाला एंटीमाइक्रोबियल्स और एंटीबैक्टीरियल और साथ ही साथ एंटी डायबिटिक गुण इसे महत्वपूर्ण बनाते हैं।