भारत में चंदन को एक पवित्र वृक्ष माना जाता है क्योंकि इसका कारण यह है कि जब कोई यज्ञ या हवन या पूजा पाठ होता है तब चंदन का उपयोग जरूर होता है। और साथ ही साथ चंदन सिर्फ धार्मिक कार्यों में उपयोग होने वाला वृक्ष नहीं है बल्कि यह शरीर के कई रोगों को भी दूर करता है।
चंदन का वैज्ञानिक नाम सन्तलम एल्बम है। यह भारत के कर्नाटक ,तमिलनाडु में अधिक मात्रा में उत्पादन किया जाता है। और इसका उत्पादन भारत के अन्य राज्यों में भी होता है लेकिन कर्नाटक और तमिलनाडु के उत्पादन अनुपात से कम है।
(1)भारतीय चंदन का उपयोग हवन और यज्ञ में होता है। (2)लाल चंदन को रक्त चंदन के नाम से भी जाना जाता है।यह चंदन तमिलनाडु के शेषम जंगलों में पाया जाता है। (3)सफेद चंदन के वृक्ष से साबुन, परफ्यूम और साथ ही साथ सौंदर्य प्रसाधन के उत्पाद बनाए जाते हैं। (4) मलयागिरी चंदन का उपयोग पायदान बनाने से लेकर चौकी बनाने और साथ ही साथ सुंदर बक्सा बनाने में भी किया जाता है।
(1) सिरदर्द से राहत देता है। (2) एंटीऑक्सीडेंट गुणों कारण हृदय रोग को दूर करने में सहायक। (3)एंटीसेप्टिक के रूप में भी उपयोग जैसे घाव का जल्दी भरना (4)नेशनल सेंटर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन की एक स्टडी के अनुसार चंदन के तेल में एंटी कैंसर का गुण पाया जाता है। (5)पेट की बीमारी को ठीक करने में सहायक
चन्दन सन्दल सफेद सैंनडल ट्री तेलपर्णिक चन्दोनो गंधपु चेकका
जलन चक्कर आना
चंदन भी अन्य वृक्षों की तरह एक वृक्ष है। इसमें सात्विक प्रवृत्ति पाई जाती है। यदि जो भी व्यक्ति अपनी दिनचर्या में चंदन का उपयोग करता है तो उसे मानसिक और शारीरिक बीमारियां कभी नहीं होगी।