Parijat Vriksh Ke Fayde: दोस्तों आज मैं एक ऐसे औषधि पौधे के विषय में बताने वाला हूं। जो अपने औषधि गुणों से हर रोग को ठीक करने में प्राचीन काल से उपयोग होता आ रहा है। और साथ ही साथ यह पौधा कोई साधारण पौधा है भी नहीं क्योंकि इसकी उत्पत्ति समुद्र मंथन के समय हुई थी। अर्थात समुद्र मंथन से यह वृक्ष प्राप्त किया गया था। इस वृक्ष का नाम है पारिजात। इसके फूलों का रंग सफेद होता है। और साथ ही साथ जैसे-जैसे यह फूल अपने अंतिम दशा तक पहुंचे लगता है। तब इस फूल का रंग सुनहरा रंग हो जाता है। और साथ ही साथ एक विशेष बात यह है कि पारिजात वृक्ष की उम्र 1000 वर्ष से 5000 वर्ष तक बताई गई है। और औषधि के रूप में इसके पत्ते से लेकर इसके शाखाओं तक उपयोग किया जाता है। और यह हर रोग को ठीक करता है। क्योंकि इसमें anti-inflammatory और साथ ही साथ एंटीमाइक्रोबियल्स, एंटीबैक्टीरियल जैसे एलिमेंट पाए जाते हैं जो शरीर के प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देते हैं।
पारिजात वृक्ष का इतिहास क्या है? (Parijat Vriksh Ka Itihas)
हरिवंश पुराण के अनुसार पारिजात वृक्ष की उत्पत्ति समुद्र मंथन के समय हुई थी अर्थात देव और असुर मिलकर मंदराचल पर्वत की सहायता से जब समुद्र के पानी को मठ रहे थे। तब मथने के परिणाम स्वरूप पारिजात वृक्ष समुद्र से निकलता है। तब यह वृक्ष देवताओं के राजा देवराज इंद्र को मिलता है। देवराज इंद्र इस वृक्ष को अपने स्वर्ग लोग में लगा देते हैं। फिर कालांतर में यह वृक्ष स्वर्ग से धरती पर आया। धरती पर लाने का श्रेय श्री कृष्ण भगवान को दिया जाता है।
क्योंकि ऐसा हुआ कि जब श्री कृष्ण भगवान ने नरकासुर का वध किया। जिसके परिणाम स्वरूप इंद्र भगवान ने श्री कृष्ण को अपने अपने यहां आमंत्रण दिया और उनके साथ उनकी पटरानी देवी सत्यभामा भी गई थी। जाने के परिणाम स्वरूप सत्यभामा ने इंद्र के उद्यान वाटिका में जब भ्रमण कर रही थी रात के समय। तब उन्होंने देखा कि एक वृक्ष में सफेद रंग का फूल खिला है वह फूल देखने में बहुत ही आकर्षण लग रहा था। और इस फूल की सुगंध आसपास के वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा से भर दिया था। देवी सत्यभामा ने वहां की वनमाली से पूछा कि यह कौन सा वृक्ष है जो अपने दुर्लभ गुणों से मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।
तब इस वृक्ष के विषय में उस वनमाली ने देवी सत्यभामा को बताया फिर जिसके परिणाम स्वरूप देवी सत्यभामा इस वृक्ष को पाने की चेष्टा करने लगी। जिसके लिए उन्होंने श्रीकृष्ण भगवान से आग्रह किया कि यह वृक्ष आप द्वारका में ले चले। उसको द्वार के उद्यान वाटिका में लगा दीजिए। भगवान ने कहा कि यह वृक्ष इंद्र का है। यदि इंद्र की इच्छा रहेगा तभी यह वृक्ष मिलेगा। लेकिन देवी सत्यभामा यह कहने लगी कि आप सर्वश्रेष्ठ हैं। आप देवताओं की रक्षा करते हैं। आपका कर्तव्य बनता है कि अपनी पत्नी की इच्छा की पूर्ति करना। फिर कृष्ण भगवान ने इंद्र से इस वृक्ष की मांग की। इंद्र ने इस वृक्ष को देने से मना कर दिया। जिसके परिणाम स्वरूप इंद्र और कृष्ण भगवान में युद्ध हुआ। और युद्ध में इंद्र ने पराजित होकर इस वृक्ष को भगवान कृष्ण को दे दिया। तभी से यह वृक्ष धरती पर आ गया।
पारिजात के वृक्ष में पाए जाने वाले पोषक तत्व कौन कौन से हैं? (Parijat Vriksh Me Paye Jane Vale Poshak Tatva Kon Kon Se Hai)
वैसे तो पारिजात का वृक्ष एक चमत्कारी पौधा है। इसको पोषक तत्वों के मापदंडों में नहीं बांधा जा सकता है। लेकिन कुछ ऐसे पोषक तत्व हैं। जो शरीर की कोशिकाओं को ठीक करने में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं जो इस प्रकार हैं-
(1) बेन्जोइक एसिड
(2) फ्रक्टोज
(3) ग्लूकोज
(4) कैरोटीन
(5) मिथाइल सेलिसिलेट
(6) रैनिक एसिड
(7) ओलेनोइक एसिड
पारिजात वृक्ष के फायदे क्या है? (Parijat Vriksh Ke Fayde Kya Hai)
(1) गठिया रोगों में सहायक
जिस भी व्यक्ति को गठिया रोग की शिकायत है या गठिया रोग होने का लक्षण दिख रहा है। तब उस व्यक्ति को पारिजात के पत्ते का सेवन करना चाहिए। इसके सेवन के तत्पश्चात आप देखेंगे कि धीरे-धीरे आपका गठिया रोग ठीक हो रहा है।
(2) बुखार के इलाज में सहायक
प्राचीन काल से पारिजात का वृक्ष बुखार के इलाज में उपयोग होता रहा है। क्योंकि आपको कोई भी बुखार हुआ हो चाहे तापमान 98 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा ही क्यों ना हो। इसके लिए आप पारिजात वृक्ष के पत्ते को सर पर रखने से आपका बुखार ठीक हो जाता है। क्योंकि इसमें एंटीपायरेटिक गुण पाया जाता है जिसके परिणाम स्वरूप यह बुखार को ठीक कर देता है।
(3) संक्रमण का इलाज करने में भी सहायक है
यदि किसी व्यक्ति को कोई संक्रमण जैसे खासी- बुखार और साथ ही साथ फंगस का इंफेक्शन हो गया है। तब उसको पारिजात का उपयोग करना चाहिए। क्योंकि पारिजात में एंटी वायरल एंटीबैक्टीरियल जैसे गुण पाए जाते हैं जो संक्रमण की समस्या को ठीक कर देते हैं।
(4) मन को शांति प्रदान करने में सहायक
यदि कोई व्यक्ति अपने काम को लेकर अधिक चिंतित रहता है। तब उसको पारिजात ब्रिज के पास जाकर कुछ समय व्यतीत करना चाहिए। इससे यह होगा कि आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा और साथ ही साथ आप देखेंगे कि धीरे-धीरे आप चिंता की बीमारियों से मुक्त हो रहे है।
पारिजात वृक्ष के नुकसान क्या है?
पारिजात वृक्ष के नुकसान यह है कि सीने में दर्द होगा और साथ ही साथ सीने में जलन होगा और मतली और उल्टी होगी। और सिर दर्द भी होगा गौरतलब है कि पारिजात वृक्ष के पत्ते और शाखाओं का सेवन किसी आयुर्वेदाचार्य की दिशा निर्देश में ही करें।
पारिजात वृक्ष के पत्ते और शाखाओं का उपयोग कैसे करें?
पारिजात वृक्ष के पत्ते और शाखाओं का उपयोग पत्तों को उबालकर या पत्तों को चाय में डालकर या पत्तों या शाखाओं का काढ़ा बनाकर उपयोग कर सकते हैं।
निष्कर्ष
पारिजात का वृक्ष एक सफेद फूल वाला पौधा है। जिसको हरसिंगार या रात की रानी के नाम से भी जाना जाता है। यह हमारे शरीर के गठिया रोग और साथ ही साथ बुखार और संक्रमण को ठीक करता है। और इसमें ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो अन्य औषधि पौधे में नहीं पाए जाते हैं।
सामान्य प्रश्न
(1) पारिजात वृक्ष की पहचान कैसे होती है?
पारिजात वृक्ष का हमेशा रात में ही खिलता है। और साथ ही साथ इस फूल का रंग सफेद रंग होता है। और सूखने पर इस फूल का रंग सुनहरा रंग हो जाता है। जिससे इसकी पहचान की जा सकती है कि यह पारिजात का वृक्ष है।
(2) पारिजात वृक्ष का अन्य नाम क्या है?
पारिजात वृक्ष का अन्य नाम है रात की रानी और साथ ही साथ शेफाली और शिउली और हरसिंगार के नाम से जाना जाता है। और अंग्रेजी में इसे नाइट जैस्मीन के नाम से भी जाना जाता है।
(3) पारिजात का वृक्ष अपने घर पर कब रोपड़ करना चाहिए?
यदि आप अपने घर पर पारिजात का वृक्ष लगाना चाहते हैं। तब आप सोमवार का दिन या गुरुवार के दिन पारिजात का वृक्ष लगा सकते हैं। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि गुरुवार का दिन और सोमवार के दिन यदि पारिजात का वृक्ष लगाते हैं तो आपके घर में सुख और समृद्धि बढ़ेगी।