इस बार की महाशिवरात्रि (Mahashivratri Vrat) भक्तों के लिए बहुत ही लाभदायक है। क्योंकि इस बार ऐसे योग और ग्रहों की स्थिति बन रही है। जिससे शिव जी अत्यंत प्रसन्न होंगे जिसके परिणाम स्वरूप अपने भक्तों को मनचाहा फल देंगे।

आपको ध्यान देने वाली बात यह है कि हर साल महाशिवरात्रि फाल्गुन महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। लेकिन इस बार फाल्गुन महीने का कृष्णपक्ष की चतुर्दशी 1 मार्च को पड़ रहा है। इसलिए महाशिवरात्रि 1 मार्च को मनाया जाएगा। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में इस बार शिव की पूजा -अर्चना करने के लिए देश विदेश से भक्तगण एकत्र हुए हैं।  जिससे कि  शिव की पूजा अर्चना करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सके।

महाशिवरात्रि को मनाने की प्रथा कब से शुरुआत हुई : (Mahashivratri Vrat ki suruaat in hindi)

शिव पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि इसलिए बनाया जाता है। क्योंकि शिवलिंग से ही ब्रह्मांड का सृजन हुआ है। इसी कारण इस दिन को महाशिवरात्रि घोषित किया गया है ।और त्रिदेव में ब्रह्मा ,विष्णु सबसे पहले सगुण व्यक्ति हैं ,जिन्होंने शिवलिंग की पूरे विधि विधान से पूजा की है ।लेकिन कई ग्रंथों के अनुसार महाशिवरात्रि इसलिए मनाया जाता है क्योंकि हिमालय राज की पुत्री पार्वती का विवाह इसी दिन शिव के साथ संपन्न हुआ था। जिसके परिणाम स्वरूप शिव के भक्त गण इस दिन को बड़े धूमधाम से महाशिवरात्रि के रूप में मनाते हैं।

इस वर्ष का महाशिवरात्रि क्यो विशेष है ? (Mahashivratri Vrat ki visesta in hindi)

Mahashivratri-Vrat-Puja-Vidhi-Samagri-Mahatav

(1) इस वर्ष का महाशिवरात्रि इसलिए विशेष है क्योंकि इस बार शंख, पर्वत ,हर्ष ,दीर्घायु और भाग्य नाम का राज योग बन रहा है ।जिसके परिणाम स्वरूप जो व्यक्ति पूरे विधि विधान से शिव की पूजा-अर्चना करेगा उसकी मनोकामना पूरी होगी। ध्यान देने वाली बात यह है कि राजयोग कई वर्षों के बाद बन रहा है।

(2) इस बार शिव की कृपा उस व्यक्ति पर विशेष होगी जिसकी राशि मकर राशि है ।क्योंकि मकर राशि में चंद्र, मंगल ,बुध ,शुक्र और शनि पांचों  ग्रह का योग बन रहा है। जिसके परिणाम स्वरूप वह व्यक्ति बहुत ही समृद्ध शाली बनेगा शिव की उपासना करके।

महाशिवरात्रि में पूजा – अर्चना करने के लिए पूजा की सामग्री में क्या – क्या शामिल है? (Mahashivratri Vrat ki samagri)

(1)गंगाजल

(2)दूध ( शिवलिंग पर अभिषेक के लिए)

(3)मौली चंदन

(4)पंचामृत (दूध,दही, शहद, घी और शक्कर )

(5)बेलपत्र

(6)फूल माला

(7)धतूरा

(8)मदार के फूल

(9)मौसमी फल (अंगूर,संतरा, बेर)

(10)रुद्राक्ष

(11)भस्म(गाय के सूखे गोबर का चूर्ण)

(12)दीपक और अगरबत्ती

महाशिवरात्रि में शिव की पूजा – अर्चना में किस मन्त्र का जाप किया जाता है : (Mahashivratri Vrat Mantra)

(1)ॐ नमः शिवाय

(2) और महामृत्युंजय मंत्र का जाप –

ॐ ह्रौं जूं सः। ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌।

 उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जूं ह्रौं ॐ ॥

महाशिवरात्रि का व्रत या उपासना कैसे करे ? (Mahashivratri Vrat kaise kare)

(1)सूर्य के उदय होने से पहले आप उठ जाइये।

(2)सुबह उठने के बाद गंगाजल में काले – तिल मिलाकर स्नान करे।

(3)स्नान करने के बाद यह संकल्प ले कि व्रत के दौरान जल (पुराणों के अनुसार) और अन्न का सेवन नही करना है और साथ ही साथ सुबह और शाम को स्नान के बाद शिव मंदिर जरूर जाए।

ध्यान देने वाली बात यह है कि जो निर्जल व्रत का पालन नहीं कर सकता है ।उसके लिए यह है कि फल, दूध और पानी पी सकता है शिव व्रत के दौरान।

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निष्कर्ष :

आज मैंने इस आर्टीकल में

(1)महाशिवरात्रि का मनाने की प्रथा कब से शुरुआत हुई,

(2)इस वर्ष का महाशिवरात्रि क्यो विशेष है

(3)महाशिवरात्रि में पूजा – अर्चना करने के लिए पूजा की सामग्री में क्या – क्या शामिल है ?

(4)महाशिवरात्रि में शिव की पूजा – अर्चना में किस मन्त्र का जाप किया जाता है

(5)महाशिवरात्रि का व्रत या उपासना कैसे करे ?

आदि जानकारी को सविस्तार से बताया है। यदि यह आर्टिकल आपको अच्छा लगा है तो इस आर्टीकल को अपने फ्रेंड या रिलेटिव को व्हाट्सएप, फेसबुक, टि्वटर और साथ ही साथ लिंकडइन और मैसेंजर पर जरूर शेयर करें ।जिससे वह भी इस आर्टिकल का लाभ उठा सकें।

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