नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफॉरमेशन ने एक शोध प्रकाशित किया था। जिसमें पाया गया कि कढ़ी का पत्ता शरीर के असाध्य रोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। क्योंकि इसमें डाई क्लोरोमिथेन और इसके साथ ही साथ एथिल एसीटेट भी पाया जाता है। यह एंटी ऑक्सीडेंट होने के साथ-साथ एंटी डायबिटिक और एंटी हैपरकोलेस्ट्रॉलिक गुणों से भरा हुआ है। भारत में प्राचीन काल से इसका उपयोग लजीज व्यंजन बनाने में होता रहा है। यह खाने में जितना लजीज है। उतना ही स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। इसकी विशेषता इस बात से लग जाती है कि प्राचीन काल में प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य सुश्रुत कढ़ी के पत्तों का उपयोग रोगी के उपचारों के लिए करते थे। आयुर्वेद की एक विशेषता यह होती है कि इसके उपयोग से शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है।
कढ़ी का पत्ता क्या है? (Kari Patta Kya Hai)
कढ़ी के पत्ते को अंग्रेजी भाषा में करी लीफ कहते हैं। और संस्कृत भाषा में कृष्णा निंबा कहते हैं। दक्षिण भारत की तरफ इसे मीठा पत्ता कहते हैं। आंध्र प्रदेश में इसे काला नीम के नाम से भी पुकारते हैं। कढ़ी का पत्ता देखने में नीम के पत्ते की तरह ही होता है। नीम का पत्ते का क्षेत्रफल जितना होता है, उतना ही क्षेत्रफल कढ़ी के पत्ते का भी होता है। अंतर सिर्फ इतना है कि कढ़ी के पत्ते का रंग हल्का गहरा होता है नीम के पत्ते की तुलना में। स्वाद में नीम का पत्ता कड़वा लगता है लेकिन कढ़ी का पत्ता स्वाद में नीम के पत्ते के अनुपात में कम कड़वा लगता है। भारतीय व्यंजन में जैसे दाल को फ्राई करने और सांभर बनाने में कढ़ी के पत्ते का उपयोग सदियों से होता चला आ रहा है।
कढ़ी के पत्ते का सबसे ज्यादा उपयोग दक्षिण भारत में होता है। दक्षिण भारत में इसके उपयोग के पीछे का प्रमुख कारण यह है कि क्योंकि दक्षिण भारत का परंपरागत व्यंजन इडली और सांभर बहुत प्रसिद्ध है। सांभर में यदि कडीपत्ता ना जाला जाए तो सांभर में वह स्वाद नहीं रहता है वह किसी काम का नहीं रह जाता है। सांभर ही कढ़ी पत्ता का एक तरह से समझिए दिल है। गौरतलब यह है कि कढ़ी का पत्ता का सेवन यदि ज्यादा मात्रा में कर लिया जाए तो यह पेट के लिए बड़ी समस्या उत्पन्न कर सकता है। इसलिए अंधाधुंध में इसका उपयोग ना करें। कढ़ी के पत्ते का वैज्ञानिक नाम” मुराया कोयनीजी” है। कढ़ी के पत्ते का जो पौधा है मूलतः भारती पौधा है। यह उपोष्ण कटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय पौधा है।
कढ़ी के पत्ते में कौन-कौन सा पोषक तत्व पाया जाता है? (Kari Ke Patta Me Kon Kon Sa Poshak Tatva Paya Jata Hai)
(1) प्रोटीन
(2) विटामिन ए
(3) विटामिन सी
(4) कैल्शियम
(5) आयरन
(6) जिंक
(7) वैनेडियम
कढ़ी के पत्ते के सेवन से हमारे शरीर को क्या-क्या लाभ मिलता है? (Kari Patta Ke Fayde | Kari Ke Patta Se Sharir Ke Fayde)
यदि अपने प्रतिदिन के दिनचर्या में कढ़ी के पत्ते का सेवन किया जाए तो यह हमारे शरीर की सभी अंगों पर सही ढंग से कार्य करता है। इसके साथ ही यह कई बीमारियों से हमें निजात भी दिलाता है।
(1) मोटापा को दूर करने में सहायक है
यदि आप मोटापे से ग्रसित हैं। जिसके कारण आपको चलने में परेशानी हो रही है। इसके साथ ही आप अपनी मोटापा को दूर करने के लिए तरह-तरह की एलोपैथिक मेडिसिन और आयुर्वेदिक मेडिसिन का उपयोग कर रहे हैं। इससे भी यदि आपका मोटापा दूर नहीं हो रहा है। तब आपके लिए एक खुशखबरी है। खुशखबरी यह है कि नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी एंड इंफॉर्मेशन में प्रकाशित एक शोध के अनुसार कढ़ी का पत्ता मोटापा को दूर करने में काफी हद तक कारगर है। इसमें पाए जाने वाले विटामिन सी एंटीऑक्सीडेंट का कार्य करता है जो शरीर के अनचाहे फैट को बर्न करने का कार्य करता है।
(2) एनीमिया की समस्या से भी निजात दिलाता है
नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे के अनुसार भारत में हर वर्ष एनीमिया की वजह से लगभग 1000 माताओं में से 170 माताओं की मृत्यु हो जाती है। वह भी एनीमिया की वजह से। मातृ मृत्यु दर में एनीमिया एक अपनी प्रमुख भूमिका अदा करता है। एनीमिया की वजह से शरीर के अंदर खून की कमी हो जाती है। जिसके परिणाम स्वरूप जच्चा और बच्चा दोनों के लिए घातक साबित होता है। लेकिन कढ़ी के पत्ती में एनीमिया की समस्या को दूर करने वाले एलिमेंट पाए जाते हैं जैसे – कैल्शियम, जिंक और वैनेडियम जो शरीर में खून की कमी को दूर करके शरीर में खून की पूर्ति बनाए रखता है।
(3) डायबिटीज को नियंत्रित करने का कार्य करता है
कढ़ी के पत्ते में anti-diabetic गुण पाया जाता है जो डायबिटीज को नियंत्रित करने का कार्य करता है। जिसके साथ ही शुगर लेवल संतुलित रहता है। इसके पीछे का कारण है हाइपोग्लाइसेमिक की मौजूदगी।
(4) लिवर की प्रॉब्लम को दूर करता है
कढ़ी का पत्ता लीवर की समस्या को भी दूर करता है। क्योंकि कढ़ी के पत्ते में टैनिन और कार्बाजोले अल्काईल पाया जाता है। जिससे हमारी लीवर की समस्या दूर हो जाती है। इसके साथ ही कढ़ी के पत्ते की तासीर ठंडी होती है। जिसके परिणाम स्वरूप लीवर को गर्मियों के मौसम में ठंडा बनाए रखता है।
(5) मुंहासे को भी ठीक करता है
जिस भी किसी व्यक्ति को मुंहासे की समस्या हो। उसको प्रतिदिन कढ़ी के पत्ते का लेप चेहरे पर लगाना चाहिए। इससे मुहासे ठीक हो जाएगा क्योंकि कढ़ी के पत्ते में एंटीफंगल और एंटी ऑक्सीडेंट के गुण मौजूद रहते हैं।
(6) सूजन को दूर करता है
जिस भी किसी व्यक्ति को पैर में सूजन या हाथ में सूजन या पेट के हाथ में सूजन हो तो उसे अपने प्रतिदिन के दिनचर्या में कढ़ी के पत्ते का सेवन करना चाहिए। क्योंकि कड़ी के पत्ते में anti-inflammatory गुड पाया जाता है जो सूजन की समस्या को दूर करता है।
कढ़ी के पत्ते के सेवन से हमारे शरीर पर इसका क्या दुष्प्रभाव पड़ता है? (Kari Patta Ke Nuksan | Kari Ke Patta Ke Sharir Ke Dushprabhav)
कढ़ी की पत्ते का सेवन यदि आप किसी विशेष बीमारी के लिए उपयोग कर रहे हैं। तब आप अपने आयुर्वेदाचार्य से परामर्श अवश्य करें।उसके बाद ही कढ़ी के पत्ते का सेवन आप उस बीमारी के लिए उपयोग कर सकते हैं।ध्यान देने योग्य बात यह है कि कढ़ी के पत्ते का तेल सर में लगाने से बाल झड़ने लगते हैं। इसके साथ ही गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को कढ़ी के पत्ते का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे उनको कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
कढ़ी के पत्तों का उपयोग किस रूप में किया जाता है? (Kari Ke Patte Ka Upyog Kaise Karen)
भारतीय समाज में कढ़ी के पत्तों का उपयोग दाल को फ्राई करने में इसके अलावा सांभर बनाने में और साथ ही साथ कढ़ी के पत्तों का पकौड़ी बनाने में उपयोग किया जाता है। कढ़ी के पत्तों का उपयोग आजकल बाजार में ऑर्गेनिक फूड में किया जा रहा है। जिससे लोगों को कोई समस्या ना हो।
निष्कर्ष:
बालों के लिए और वजन कम करने के लिए और इसके अलावा मुहासे की समस्या से निजात दिलाने में कढ़ी का पत्ता काफी हद तक कारगर है। आयुर्वेद में इसे मीठा पत्ता के नाम से जाना जाता है। इसमें प्रोटीन विटामिन और सूक्ष्म पोषक तत्वों की अधिकता है। जिससे हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
सामान्य प्रश्न
(1) कढ़ी के पत्ते की तासीर कैसी होती है?
कढ़ी के पत्ते की तासीर ठंडी होती है। इसका सेवन गर्मियों में किया जा सकता है। इसीलिए दक्षिण भारत में अत्यधिक गर्मी पड़ने के कारण सांभर प्रतिदिन खाया जाता है क्योंकि सांभर में कढ़ी के पत्ते का उपयोग हुआ रहता है।
(2) कढ़ी के पत्ते के पौधे का वैज्ञानिक नाम क्या है?
कढ़ी के पत्ते के पौधे का वैज्ञानिक नाम “मुराया कोयनीजी” है।
(3) खाली पेट कढ़ी के पत्ते खाने से क्या फायदा मिलता है?
खाली पेट कड़ी की पत्ती खाने से हमारी पाचन क्रिया मजबूत होती है जिसके परिणाम स्वरूप कब्ज और बदहजमी जैसी समस्याओं से निजात पाया जा सकता है।
(4) कढ़ी का पत्ता बालों के लिए किस प्रकार से लाभदायक है?
कढ़ी के पत्तो का लेप यदि हम अपने बालों में लगाते हैं तो इससे हमारे बाल साइन करेंगे। इसके अलावा डैंड्रफ की समस्या दूर होगी और साथ ही साथ बालों की जड़ें भी मजबूत होंगी।
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