Chaulai ke Fayde: उत्तर भारत के राज्य जैसे उत्तर प्रदेश ,उत्तराखंड, बिहार हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में चौलाई की सब्जी बड़े चाव के साथ खाई जाती है। चौलाई कि लगभग कुल 60 प्रजातियां हैं। जिनमें से 30 से अधिक प्रजातियां भारत में पाई जाती है। इतना ही नहीं चौलाई में विटामिंस ए और विटामिन सी और पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप हमारा शरीर रोग प्रतिरोधक क्षमता और एकाग्रता और शारीरिक एनर्जी से परिपूर्ण रहता है। चौलाई की सब्जी की तासीर ठंडी होती है। यह ऐसा पत्तेदार वाली सब्जी है। जिसका सेवन इंडिया में ठंडी के मौसम में कम किया जाता है। लेकिन गर्मी के मौसम में और वर्षा के मौसम में सब्जी के रूप में उपयोग किया जाता है। पेट को ठंडा रखने के लिए इसके जूस का भी सेवन किया जाता है। चौलाई भारत के तमिलनाडु पंजाब और जम्मू-कश्मीर और इसके अलावा सिक्किम ,मिजोरम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर में इसकी खेती की जाती है। चौलाई का वैज्ञानिक नाम एमारैनथस है।
हरी पत्तेदार सब्जियों में अपने दुर्लभ गुणों से आश्चर्यचकित करने वाला चौलाई क्या है?
चौलाई एक पादप जगत का मग्नोल्योप्सीदा वर्ग का पौधा है। जिस का फूल पर्पल और लाल रंग का होता है। अभी वैश्विक स्तर पर लगभग इसकी 60 प्रजातियों को पहचाना गया है। चौलाई की तासीर ठंडी होने के कारण गर्मी के मौसम और वर्षा के मौसम में इस पत्तेदार सब्जी का सेवन किया जाता है।
Chaulai ki Sabji में कौन -कौन सा पोषक तत्व पाया जाता है?
(1) विटामिन ए
(2) विटामिन बी
(3)विटामिन सी
(4)विटामिन बी-6
(5)विटामिन बी-9
(6)राइबोफ्लेविन
(7)नियासिन
(8)कैल्शियम
(9)ओमेगा 3 फैटी एसिड
(10) आयरन
(11)फास्फोरस
(12)मैग्नीशियम
(13)मैग्नीज
(14)जिंक
(15)पोटेशियम
(16) सोडियम
(17) कॉपर
चौलाई के अन्य भाषा में नाम :
भाषा | नाम |
हिंदी | लाल मरसा लाल साग लाल चौलाई मार्ष |
अंग्रेजी | जोसेफ कोट |
उर्दू | लाल साग |
ओड़िया | भाजी साग |
कन्नड़ | दन्तु |
तेलगू | टोटाकुरा |
तमिल | सेरीकेरई |
संस्कृत | रक्तमारिष |
गुजराती | अदबउदम्भी |
बंगाली | डेंगुआ |

चौलाई की कौन-कौन सी प्रजातियां भारत में पाई जाती है?
(1) छोटी चौलाई
इस छोटी चौलाई की प्रजाति का विकास भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा किया गया है। इस प्रजाति की विशेषता यह होती है कि इसके जो पत्ते होते हैं छोटे आकार के होते हैं और पत्तों का रंग हरा होता है। इस प्रजाति को उगाने के लिए अनुकूल मौसम वसंत ऋतु और वर्षा ऋतु है।
(2) बड़ी चौलाई
ग्रीष्म ऋतु में उगाई जाने वाली बड़ी चौलाई की पत्ती हरी होती है और पति की लंबाई बड़े आकार के होते हैं। इसके अलावा पत्तियों की शाखाएं मोटे और नरम और हरे रंग के होते हैं।
(3) पूसा कीर्ति
पूसा कीर्ति ग्रीष्म ऋतु में उगाई जाने वाला चौलाई की प्रजाति है। इसकी विशेषता यह होती है कि इसकी पत्तों की लंबाई न्यूनतम 6 सेंटीमीटर और अधिकतम 8 सेंटीमीटर तक होते हैं। इसके अलावा इसकी चौड़ाई न्यूनतम 4 सेंटीमीटर और अधिकतम 6 सेंटीमीटर तक होते हैं। इसका डंठल 3 से 4 सेंटीमीटर तक लंबा होता है।
(4) पूसा लाल चौलाई
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित पूसा लाल चौलाई की प्रजाति की पत्तियों की लंबाई चौड़ाई क्रमशः 7 सेंटीमीटर और 5 सेंटीमीटर है। इसकी पत्तियों का रंग लाल होता है और डंठल तना शाखा भी गहरे लाल रंग के होते हैं।
(5) मोरपंखी
मोरपंखी प्रजाति की चौलाई का उत्पादन वर्षा ऋतु के समय किया जाता है। इसकी विशेषता यह होती है कि इसके पत्तों का रंग हल्का लाल और हल्का हरा होता है। इसके अलावा पत्तियों की शाखाओं की लंबाई न्यूनतम 4 सेंटीमीटर से लेकर के अधिकतम 5:30 सेंटीमीटर तक होता है।
(Chaulai ke Fayde)चौलाई की सब्जी खाने के फायदे क्या- क्या होते है?
(1)एनीमिया रोग से बचाता है
एनीमिया रोग वह रोग होता है। जिसमें रोगी के शरीर के अंदर खून की कमी हो जाती है। इस रोग से प्रभावित अधिकतर जन्म देने वाली माताएं होती हैं। इसके अलावा सामान्य मेल फीमेल के अंदर भी खून की कमी हो जाती है, इसी वायरल डिजीज के कारण । यदि खून की कमी की पूर्ति करना है तब आप अपने आहार में चौलाई को शामिल करिए चौलाई में आयरन पाया जाता है जो आपके शरीर के अंदर खून बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाता है।

(2) कैंसर रोग से भी बचाता है
चौलाई में एंटीकैंसर गुण पाया जाता है जो कैंसर की बढ़ती कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है। जिसके परिणाम स्वरूप आपके शरीर में कैंसर नहीं होने देता है।
(3) हड्डियों को स्ट्रांग करता है
चौलाई की सब्जी में कैल्शियम फास्फोरस और मैग्नीशियम जैसे खनिज पोषक तत्व पाए जाते हैं जो आपकी हड्डियों को मजबूत बनाता है जिससे आप की हड्डी अस्वस्थ बनी रहती है इसके अलावा बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों से संबंधित होने वाली बीमारी जैसे अर्थराइटिस, ओस्टीयोपोरोसिस जैसे लोग से भी बचाता है।
(4) वेट लॉस में भी सहायक
फास्ट फूड और जंक फूड के सेवन से यदि आपका वजन बढ़ गया है और आप अपना वजन घटाने के लिए तरह तरह के यत्न करके हार गए हैं। तब आप चौलाई की सब्जी का सेवन करिए। चौलाई में फाइबर पाया जाता है। जिसके फलस्वरूप आपके पेट में एनर्जी बनी रहती है और अधिक समय तक पेट भरा भी रहता है। जिससे आप जंक फूड और फास्ट फूड के सेवन से बच जाते हैं।
(5) हाई ब्लड प्रेशर को कम करता है
चौलाई की सब्जी में पोटेशियम पाया जाता है। एक शोध के मुताबिक पोटेशियम काफी हद तक हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में सहायक है।
(6) स्किन डिजीज से भी बचाता है
चौलाई की सब्जी में भरपूर मात्रा में वाटर पाया जाता है जो आपकी स्किन को नमी प्रदान करता है। जिससे आपको सर्दियों में होंठ सूखने की प्रॉब्लम। इसके अलावा एंटीफंगल से भी आपकी स्किन को प्रोटेक्ट करता है।

चौलाई की सब्जी खाने के नुकसान क्या- क्या है?
(1) एलर्जी की प्रॉब्लम हो सकती है
(2) अधिक मात्रा में सेवन करने से उल्टी ,दस्त और मतली की समस्या हो सकती है।
चौलाई की सब्जी खाने से पहले सावधानियां क्या बरतनी चाहिए?
(1) जो व्यक्ति दवाई का सेवन कर रहे हैं। उनको चौलाई की सब्जी खाने से पहले डॉक्टर से अवश्य परामर्श कर लेना चाहिए उसके बाद ही सेवन करें।
(2) ध्यान देने वाली बात यह भी है कि चौलाई की पत्ती पीली नहीं होनी चाहिए। यह पीली पत्ती वाली चौलाई आपको दिख जाए। तब आपको इसको नहीं खरीदना चाहिए क्योंकि यह चौलाई खराब हो चुकी है।
निष्कर्ष:
Chaulai ke Fayde: चौलाई की सब्जी खाने में जितना स्वादिष्ट लगता है। उतना ही यह स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद भी है क्योंकि इसमें सूक्ष्म पोषक तत्वों से लेकर के विटामिन ए बी सी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।
FAQ:
(1)चौलाई की तासीर कैसी होती है?
चौलाई की तासीर ठंडी होती है।
(2) 100 ग्राम चौलाई में कितने ग्राम प्रोटीन पाया जाता है?
100 ग्राम चौलाई में 13 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है।
(3) चौलाई का वैज्ञानिक नाम क्या है?
चौलाई का वैज्ञानिक नाम अमेरेन्थस है।
(4) चौलाई में कौन कौन सा विटामिन पाया जाता है?
चौलाई में विटामिन ए विटामिन बी और विटामिन सी पाया जाता है।
(5) चौलाई में कौन- कौन सा सूक्ष्म पोषक तत्व पाया जाता है?
चौलाई में कॉपर, मैग्नीशियम ,मैग्नीज ,सोडियम, कॉपर, पोटैशियम जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व पाए जाते हैं।