Avoid Social Media In Hindi:- ऑक्सफोर्ड प्रेस रिपोर्ट में खुलासा यह किया कि भारत में हर 100 व्यक्ति में से 54 व्यक्ति सोशल मीडिया का यूज सही जानकारी कलेक्ट करने के लिए करते है। फेसबुक व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम पर शेयर किए गए पोस्ट पर 44% जिनकी उम्र 25 वर्ष से लेकर के 45 वर्ष के बीच में है वह उस पोस्ट को सच मान लेते है। बाकी 55 साल या 55 साल से ऊपर के व्यक्ति सोशल मीडिया पर शेयर किए गए कोई भी पोस्ट को सिर्फ 12% सच मानते हैं। पूरे विश्व की जनसंख्या 800 करोड़ हो गई है इन 800 करोड़ में से 462 करोड लोग सोशल मीडिया जैसे व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम जरूर चलाते हैं भारत इस समय विश्व का सबसे बड़ा जनसंख्या वाला देश है इसकी कुल जनसंख्या 143 करोड़ है। जिनमें से 46% लोग सोशल मीडिया चलते हैं और भारत में सबसे ज्यादा 48 करोड लोग व्हाट्सएप्प चलाते हैं। भारत में एक व्यक्ति औसत सोशल मीडिया पर 4 घंटे से लेकर के 6 घंटे स्पेंट करता है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च के अनुसार सोशल मीडिया की ज्यादा उपयोग से मन में भरम उठने लगता है जो जानकारी दी जा रही है उसके विषय में गहराई से जाने बिना ही उस पर विवाद करने के लिए उतारू हो जाते हैं। सोशल मीडिया पर 2022 तक 4500 आपत्तिजनक पोस्ट पड़े हुए थे जिन्हें 2022 के दिसंबर के अंतिम महीने तक हटा दिया गया क्योंकि ऐसे पोस्ट थे जो किसी की भावना को आहत करते हैं या सांप्रदायिक दंगा या नस्लीय भेदभाव को बढ़ावा देते थे।
छात्रों पर प्रभाव डालने वाला आखिरकार सोशल मीडिया होता क्या है?:
छात्रों पर प्रभाव डालने वाला सोशल मीडिया एक प्रकार का ऑनलाइन मंच होता है जो यूजर को अकाउंट क्रिएट करने के साथ-साथ अदर यूजर से कनेक्ट भी करता है आप इस कनेक्टिविटी के माध्यम से अदर यूजर से दोस्ती करके विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं उदाहरण के लिए व्हाट्सएप, फेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम, स्नैपचैट, लिंकडइन आदि। छात्रों पर सोशल मीडिया के प्रभाव के कारण उसकी पढ़ाई में मन नहीं लगता है और उसकी आंखों में चश्मा भी लग जाता है।
Avoid Social Media In Hindi सोशल मीडिया के नुकसान क्या है?:
(1) मेंटल हेल्थ की प्रॉब्लम
मायो क्लिनिक नामक एक वेबसाइट ने यह रिसर्च प्रकाशित किया है कि जो भी व्यक्ति सोशल मीडिया पर 3 घंटे से लेकर के 4 घंटे तक समय व्यतीत करते हैं उनको मेंटल हेल्थ की प्रॉब्लम जैसे डिप्रेशन, टेंशन अल्जाइमर और अदर न्यूरो डिजीज होने की संभावना ज्यादा रहती है। एक रिसर्च के अनुसार भारत में शनिवार और रविवार के दिन छुट्टी के दिन लोग जो पहले 5 दिनों में 3 घंटे फोन चलाते थे अब वह लगभग 6 घंटे तक फोन चला रहे हैं वह छुट्टी को सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित कर दे रहे हैं।

(2) फेक न्यूज़ का हो सकते हैं शिकार
भारत के वर्तमान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डिवाइस चंद्रचूड़ ने अमेरिका के बार एसोसिएशन के तीन दिनों के कॉन्फ्रेंस में”लॉ इन एज ऑफ ग्लोकलाइजेशन: कन्वर्जेंस ऑफ इंडिया एंड द वेस्ट” पर अपने विचार रखें उन्होंने कहा कि “फेक न्यूज़ की दुनिया में सच का शिकार हो गया” अर्थात लोग अब वही सच मान बैठते हैं जो सोशल मीडिया पर उनको जानकारी उपलब्ध करवाई जाती है अब वह यह तर्क वितर्क नहीं करते हैं कि उनके लिए कौन सी जानकारी सही है या गलत है। फेक न्यूज़ का मतलब होता है एक ऐसा न्यूज़ जो किसी को आहत करने के लिए या सांप्रदायिक दंगा भड़काने के लिए या चुनावी लाभ लेने के लिए फैलाया जाता है भारत में पहले जब सोशल मीडिया नहीं था तो अखबारों के माध्यम से फेक न्यूज़ फैलाया जाता था लेकिन इस पर नकेल कसने के लिए भारत में प्रेस काउंसिल आफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन,ब्रॉडकास्टिंग कंटेंट कंप्लेंट काउंसिल जैसी संस्था टीवी चैनलों पर फैलाई गई अफवाह न्यूज़ को कंट्रोल करती है। लेकिन सन 2008 में आईटी एक्ट के तहत सोशल मीडिया पर यदि फेक न्यूज़ फैलाया जाती है तो उसे तुरंत ही कोर्ट द्वारा कंटेंट को हटाने के लिए आदेश दिया जाता है।
(3) फ्रॉड के शिकार हो सकते हैं
पहले के समय में जब सोशल मीडिया नहीं था तब चोरी करना कठिन होता था लेकिन जब से सोशल मीडिया का आगमन हुआ है तब से चोरी करना बहुत ही सरल हो गया है अर्थात अभिषेक आधुनिक भाषा में फ्रॉड के नाम से भी जाना जाता है जैसे ही आप कोई अनवांटेड लिंक पर क्लिक कर देते हैं वैसे ही आपका बैंक खाली हो जाता है यह भी एक प्रकार का ही फ़्रॉड है। बिल गेट्स की कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने ग्लोबल टेक स्कैम रिसर्च रिपोर्ट नामक एक रिपोर्ट निकाली उसे रिपोर्ट के अनुसार भारत में 48% लोग ऑनलाइन फ्रॉड के शिकार होते हैं और वही ग्लोबल लेवल पर यह डाटा 59% है भारत में जो 48% लोग ऑनलाइन फ्रॉड के शिकार होते हैं उनकी उम्र 24 वर्ष से लेकर के 40 वर्ष के बीच में ही होती है।
ग्लोबल टेक स्कैम रिसर्च रिपोर्ट यह भी बताया कि भारत में हर दिन लगभग ऑनलाइन फ्रॉड के मामले 2000 से ज्यादा होते हैं। फाइनेंसियल एडवाइस देने वाली एक संस्था प्राइसवाटरहाउस कूपर्स ने अपने रिपोर्ट में बताया कि 26 परसेंट भारतीयों के बैंक अकाउंट में से एक मिलियन डॉलर से अधिक पैसे फ्रॉड के तोर पर निकाले गये है। आईआईटी कानपुर ने इनक्यूबेटेड स्टार्टअप नामक एक स्टडी मैं बताया गया कि 75% क्राइम फाइनेंसियल फ्रॉड से रिलेटेड क्राइम है जिनमें से 50% यूपीआई से रिलेटेड है और 25% ईमेल फिसिंग, साइबर धमकी ,सेक्सटिंग के माध्यम से पैसे की उगाही करते है।
(4) सोशल मीडिया की लत लग जाना
प्रेजेंट टाइम में सबसे बड़ा लत सोशल मीडिया का है। PubMed के अनुसार पूरे वर्ल्ड में 70% लोग बेड पर जाने के बाद भी मोबाइल को नहीं छोड़ते हैं और इन 70% में से 40% अकेले भारतीय ही शामिल हैं अर्थात इस डाटा के अनुसार भारत में लगभग 20 करोड़ भारतीय बिस्तर पर जाने के बाद फेसबुक, व्हाट्सएप इंस्टाग्राम, एक्स आदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म चलाते रहते हैं। छात्रों के लिए सोशल मीडिया सबसे बड़ा हानिकारक है क्योंकि इससे छात्रों का दिमाग भटकने लगता है, पढ़ाई में मन नहीं लगता है ,रात में नींद नहीं आती है, डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं, उनको साइबर क्राइम से रिलेटेड धमकियां मिलने लगती है और हनी ट्रैप के भी शिकार हो जाते हैं।
(5) प्राइवेसी का उल्लंघन होता है
सन 2018 में भारत का सर्वोच्च न्यायालय ने पुत्तास्वामी वाद में एक डिसीजन दिया था कि राइट टू प्राइवेसी जीवन के अधिकार के अंतर्गत है अर्थात यदि कोई आपकी प्राइवेसी पर धावा बोलता है तो इसका मतलब सीधा है आपके व्यक्तिगत जीवन पर धावा बोल रहा है भारतीय दंड संहिता के अनुसार जो भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की निजता का उल्लंघन करता है उस पर ₹200000 का जुर्माना या तो कारावास की सजा हो सकती है। न्यूज़ टुडे के एक रिसर्च के अनुसार सोशल मीडिया के आगमन से प्राइवेसी के मामले में 6% की वृद्धि देखी गई है इन 6 परसेंट की वृद्धि में 5% ऐसे मामले हैं जो जानबूझकर के किसी की प्राइवेसी को भंग किया गया है और एक परसेंट मामले ऐसे मामले हैं जो किसी कारणवश गलती से किसी की प्राइवेसी भंग हो गई।
(6) साइबर बुलिंग का शिकार होना
चाइल्ड राइट्स एंड यू के एक रिपोर्ट के अनुसार 10 भारतीयों में से एक भारतीय साइबर बुलिंग का शिकार होता है। साइबर बुलिंग सबसे ज्यादा भारत, ब्राजील और संयुक्त राज्य अमेरिका में होता है। साइबर बुलिंग का मतलब यह होता है कि जब कोई व्यक्ति आपको सोशल मीडिया के माध्यम से जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और टेलीग्राम का उपयोग करके आपको धमकी भरा वीडियो या टेक्स्ट मैसेज करता है तो इसे ही साइबर बुलिंग कहते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में 65% माता-पिता की चिंता साइबर बुलिंग की होती है कि कहीं उनका बच्चा इसका शिकार ना हो जाए।

सोशल मीडिया के लाभ क्या है?:
(1) विश्व में घटित घटनाओं की जानकारी हमें तुरंत मिल जाती है
(2) किसी अन्य व्यक्ति से अपने विचारों को शेयर करके अपने दिल की बात कह सकते हैं।
(3) सोशल मीडिया का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे आप पूरे दुनिया के लोगों को दोस्त बना सकते हैं और एक दूसरे से नॉलेज भी ले सकते हैं।
(4) सोशल मीडिया का सबसे बड़े लाभ यह भी है कि इससे आप पैसे भी कमा सकते है।
(5) कोई व्यक्ति यदि अपनी विचारों को साझा करने के लिए मंच ढूंढ रहा है तो सबसे अच्छा मंच सोशल मीडिया का ही है
निष्कर्ष:
Avoid Social Media In Hindi:- सोशल मीडिया अभिशाप भी है वरदान भी है। बस इसको चलाते समय इमोशन से ज्यादा बुद्धि का उपयोग करें। क्योंकि जब आप इमोशंस का यूज करेंगे तब आप साइबर बुलिंग और ईमेल फिशिंग के शिकार हो जाएंगे।
Faq:
(1) सोशल मीडिया का सकारात्मक प्रभाव कौन सा है?
सोशल मीडिया का सकारात्मक प्रभाव है कि इससे आप दबे कुचले व्यक्तियों की आवाज को उठा सकते हैं।
(2) सोशल मीडिया अच्छी है या बुरी?
सोशल मीडिया बच्चों के लिए अच्छी नहीं है लेकिन बुजुर्ग व्यक्तियों के लिए अच्छा है क्योंकि बुजुर्ग व्यक्ति सोशल मीडिया का यूज बुद्धिमानी पूर्वक से करेंगे।
(3) क्या सोशल मीडिया का ना होना बुरा है
प्रेजेंट टाइम में सोशल मीडिया के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती है सोशल मीडिया के इतने सारे बेनिफिट्स हैं जो जीवन को सुगम बना देते हैं।
(4) सोशल मीडिया से युवा कैसे प्रभावित हो रहे हैं?
सोशल मीडिया से वही युवक प्रभावित होता है जो अकेलापन का शिकार रहता है।