जानिए इस अचूक रामबाण औषधि अंकोल के विषय में जिसका उपयोग स्वयं बॉलीवुड अभिनेत्री हिना सिर दर्द से छुटकारा पाने के लिए करती हैं
Ankol ke Fayde: आयुर्वेद अपनी चमत्कारी प्रकृति के कारण जाना जाता है। आयुर्वेद में इतनी शक्ति होती है कि वह हर रोग को ठीक कर देता है लेकिन दुष्प्रभाव कुछ नहीं होता है। ऐसा ही एक पौधा है अंकोल का जो आर्थिक रूप से लाभकारी है साथ ही साथ इसके पत्ते, तने और जड़ का उपयोग करके अपनी विभिन्न शारीरिक बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं। प्राचीन समय से दक्षिण अफ्रीका में जब कोई व्यक्ति बीमार या उसे कोई घाव लगता है तो इसके लिए अंकोल का छाल उपयोग होता है। इस छाल के उपयोग के परिणाम स्वरूप घाव ठीक हो जाता था। ऐसा भी कहा जाता है कि पूर्वी एशिया जैसे लाओस, ब्रूनेई और कंबोडिया जैसे देश में इसकी पत्तियों का उपयोग अवसादग्रस्तता से निदान पाने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके फल का स्वाद भी चटपटा और खट्टा मीठा होता है। वर्तमान समय में इसके फल की मांग मार्केट में बहुत ज्यादा है। इसके मद्देनजर बहुत सारी ई-कॉमर्स वेबसाइट जैसे अमेजन फ्लिपकार्ट और मिंत्रा पर इसके फल उपलब्ध है जिसका उपयोग करके आप बीमारियों से राहत पा सकते हैं। प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेत्री हिना खान को जब सिर दर्द होता है तब वह सिर दर्द से छुटकारा पाने के लिएअंकोल के तेल का उपयोग करती हैं।
चमत्कारी गुणों से हैरान कर देने वाला आखिरकार अंकोल होता क्या है?
अंकोल जिसे एलैजियम सैल्बीफोलियम के नाम से जाना जाता है। यह पौधा अंकोट कुल का है। इस पौधे की मोटाई 2.5 फुट से लेकर लगभग 3 फुट तक होता है। इस वृक्ष की लंबाई 3 मीटर से लेकर के लगभग 6 मीटर तक होती है। इसकी पत्तियों की संरचना इस प्रकार है कि इसका आधार वाला भाग नुकीला होता है और इसके पत्ते में विभिन्न प्रकार की लकीरों का निशान है और साथ ही साथ इसके फल फरवरी महीने में लगता है। इसके फल को बेरी के नाम से जाना जाता है।
भारत के अन्य राज्यों में अंकोल को किस -किस नाम से जाना जाता है?
भारत एक विविधता वाला देश है जहां अनेक धर्म, अनेक जाति और अनेक भाषा को बोलने वाले होते है। उसी तरह अंकोल को भी भारत के अलग-अलग राज्यों में अन्य नाम से जाना जाता है
(1)अंकोट
(2) दीर्घकील
(3) दक्षिणी ढेरा
(4) ढेरा
(5) थेल
(6) अंकूल
(7) विसमार
(8) आँकोड़
(9) आंकुल
(10) ओबलाकोल
(11) अंकोल
(12) ढेला
भारत के कौन-कौन से राज्य में अंकोल पाया जाता है?
भारत के तराई मैदान और साथ ही साथ प्रायद्वीपीय भारत में बहुतायत मात्रा में पाया जाता है। गौरतलब यह है कि हम अंकोल की जननी राष्ट्र का नाम दक्षिण अफ्रीका और कुछ स्रोतों से ज्ञात होता है कि यह पूर्वी एशिया का मूल पौधा माना जाता है।
(1) उत्तर प्रदेश
(2) बिहार
(3) बंगाल
(4) राजस्थान
(5) दक्षिण भारत
अंकोल में कौन -कौन सा पोषक तत्व पाया जाता है?
रोगों के दृष्टिकोण से अंकोल एक चमत्कारी पौधा से कम नहीं है। यह लगभग- लगभग हर रोग को ठीक करने में सक्षम है। इसमें ऐसे अनेक सूक्ष्म पोषक तत्व और विटामिन पाए जाते हैं जो इसकी विशेषता को दर्शाते हैं
(1) विटामिन सी
(2) अल्कलॉइड,
(3) टैनिन
(4) ट्राइटरपीन
(5) स्टेरॉयड
(6) फ्लेवोनॉइड्स
(7) टेरपेनॉइड्स,
(8) अल्कलॉइड्स
अंकोल में कौन – कौन सा गुण पाया जाता है ?
(1) एक्सपेक्टोरॉन्ट
(2) एंटी इंफ्लामेएंट्री
(3) एंटीपायरेटिक
(4) मूत्रवर्धक
(5) एंटीमाइक्रोबाएल
(6) एनाल्जेसिक
(7) कारमिनैटिव
(8) एंटीवेनम
अंकोल के सेवन के फायदे (Ankol ke Fayde) क्या- क्या है?
(1) जोड़ों में सूजन को कम करने में लाभदायक है
वृद्धावस्था अभिशाप से कम नहीं है। जब हम युवावस्था में होते हैं तब हमारे अंदर स्फूर्ति रहती है। लेकिन समय के साथ जैसे हम वृद्धावस्था में प्रवेश करते हैं। वैसे हमें अनेक बीमारियां जकड़ लेती है जैसे की हड्डियों में जकड़न और साथ ही साथ जोड़ों में सूजन और जोड़ों में दर्द भी होने लगता है। यदि इस समस्या से निजात पाना है तो आप आयुर्वेदिक औषधि में विश्वास रखते हैं सब इसके लिए आप अंकोल पौधे के जड़ों का सेवन कर सकते हैं। अंकोल के जड़ों में एनाल्जेसिक गुण पाया जाता है जो हमें जोड़ों में सूजन से निजात दिलाता है। यदि किसी कारणवश अंकोल के पौधे का जड़ नहीं मिल पा रहा है तब आप इसके जड़ या पत्ते का भी उपयोग औषधि के रूप में कर सकते हैं।
(2) सर्दी जुकाम में भी लाभकारी
मौसम परिवर्तन के साथ हम सबको इनफ्लुएंजा जैसी बीमारी हो जाती है जो एक प्रकार का फ्लू है। इस बीमारी की वजह से हमारे शरीर का तापमान बढ़ जाता है और साथ ही साथ नाक बहने लगती है और ठंड का भी एहसास होने लगता है। यदि इनफ्लुएंजा से मुक्ति पाना है तब आप अंकोल वृक्ष के जड़ों का उपयोग कर सकते हैं। इससे आपका सर्दी जुकाम ठीक हो जाएगा। इसके पीछे का कारण यह है कि अंकोल के जड़ों में एंटीमाइक्रोबॉयल गुण पाए जाते हैं।
(3) सर्प या बिच्छू के डंक से भी निजात दिलाता है
एक सर्वे के अनुसार भारत में हर वर्ष लगभग 300000 लोग सर्प दंश के कारण मर जाते हैं। इसका मुख्य कारण है और इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव। अभी भारत के कई ग्रामीण क्षेत्र हैं जो मुख्य सड़कों से नहीं जुड़ा हुआ है। जिसके परिणाम स्वरूप सर्पदंश के रोगी को अस्पताल ले जाने में आसक्षम हो जाते हैं और साथ ही साथ यदि अवसंरचना तो है लेकिन जिला हॉस्पिटल में एंटी वेनम ही उपलब्ध नहीं रहता है बहुत सारी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है यही समस्या पर्वतीय क्षेत्रों में भी करना पड़ता है लेकिन आपको घबराने की आवश्यकता नहीं है जिस किसी व्यक्ति को सांप या बिच्छू डंक मार दे तब उस व्यक्ति को 15 ग्राम अंकोल की छाल और 10-12 काली मिर्च 60 ग्राम ऐनिमल फैट को संयुक्त रूप से मिलाकर के हर 2 घंटे के अंतराल पर सर्प दंश के रोगी को दे दे इससे कुछ हद तक रोगी को निजात मिलेगा क्योंकि अंकोल के हाल में एंटी वेनम का गुण भी पाया जाता है।
(4) एन्टी रेबीज का भी कार्य करता है
हर वर्ष पागल कुत्ते काटने की वजह से लगभग 60000 लोगों की मृत्यु हो जाती है। पागल कुत्ते काटने से हाइड्रोफोबिया नामक बीमारी होती है अर्थात रोगी को इसमें पानी से भी डर लगता है। इसी की वजह से रोगी कुत्ते की मौत मरता है, उसके शरीर की हावभाव पूरा कुत्ते की तरह हो जाता है। क्योंकि जब कुत्ता किसी मनुष्य को काटता है तो मनुष्य के अंदर कुत्ते के द्वारा मनुष्य के शरीर में रेबीज वायरस आ जाता है। रेबीज वायरस की वजह से ही हाइड्रोफोबिया नामक बीमारी होती है। यह वायरस डिएक्टिव होता है। लेकिन जैसे ही वह कुत्ते की जीत पर आता है। फिर से वह एक्टिव हो जाता है यह प्रकार का4 परजीवी है अर्थात पैरासाइट है। यदि अंकोल की छाल को जिस जगह पर कुत्ता काटता है उस स्थान पर लगाया जाए तो वह स्थान स्वत: ही ठीक हो जाता है क्योंकि अंकोल की छाल में एंटी रेबीज का गुण पाया जाता है।
(5) पीलिया की बीमारी में भी लाभकारी है
यदि अंकोल की छाल का पाउडर बनाकर सेवन किया जाए तो इससे पीलिया से निजात पाया जा सकता है। क्योंकि यह लीवर से बिलरूबिन के स्रावण को कम करता है। जिससे लीवर की सभी समस्याएं ठीक होती है और शरीर स्वस्थ होता हैं।
(6) सिर दर्द में भी लाभकार

भागदौड़ भरा जीवन कितना कष्टकारी होता है। जिससे हमें तरह तरह की समस्याएं जैसे कि सिर में दर्द होने लगना और सिर का भारीपन और साथ ही साथ कई बार डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। लेकिन आपको बता दे की अंकोल के तेल में एंटीपायरेटिक गुण पाया जाता है। जो हमें सिर दर्द से निजात दिलाता है। यदि इस तेल को सप्ताह में दो बार मालिश किया जाये तो इससे हमें भविष्य में सिरदर्द की समस्या भी नहीं होगी और हमारा सिर जीवन भर निरोग बना रहे हैं।
अंकोल के सेवन के पश्चात होने वाले शरीर में दुष्प्रभाव क्या है?
यदि ऐसे में देखा जाए तो अंकोल के कोई दुष्प्रभाव नहीं है। यदि उसका सेवन खुराद से ज्यादा हो जाता है तब आपको कई दुष्प्रभाव दिख सकता है हालांकि यदि इसका सेवन किसी आयुर्वेदाचार्य के सानिध्य में किया जाए तो इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं दिखता है। लेकिन इसके निर्धारित खुराक से ज्यादा खुराक का सेवन करने के बाद हमें निम्नलिखित दुष्प्रभाव दिखाई पड़ता है
(1) जी घबराना
(2) सिर में भारीपन होना और सिर दर्द भी होना।
(3) नींद की प्रॉब्लम
(4) भूख में कमी
(5) पेट में जलन
अपने प्रतिदिन की दिनचर्या में अंकोल का सेवन कैसे करें?
यदि आपको अपने प्रतिदिन की दिनचर्या में अंकोल का सेवन करना है तो तब आप निम्नलिखित प्रकार से इसका सेवन कर सकते हैं।
(1) पाउडर के रूप में
(2) तेल के रूप में
(3) एंटीसेप्टिक के रूप में
(4) लेप बनाकर
निष्कर्ष:
प्रकृति द्वारा हमें दिया गया आयुर्वेद का वरदान किसी चमत्कार से कम नहीं है। बस हम सबको उसका उपयोग करना आना चाहिए। यदि आप इसको प्रयोग बुद्धिमत्ता से करते हैं। तब आपको कोई समस्या नहीं होगी। इसी प्रकार अंकोल का पौधा हमारे शरीर में होने वाले अनेक विकारो के लिए एक अचूक औषधि से कम नहीं है।
FAQ:
(1) अंकोल का वैज्ञानिक नाम क्या है?
अंकोल का वैज्ञानिक नाम Alangium है।
(2) अंकोल का उपयोग किस -किस बीमारी में होता है?
अंकोल का उपयोग गठिया रोग और पीलिया रोग और साथ ही साथ सिर दर्द से संबंधित आदि बीमारियों में किया जाता है
(3) अंकोल के पौधे में उपयोगी भाग क्या है?
अंकुल के पौधे में उपयोगी भाग उसका जड़, छाल और साथ ही साथ पत्ता है।